Thursday, August 11, 2022

आलोचना



कथा आलोचक शशिभूषण मिश्र की नजर में


    उदय प्रकाश और शिवमूर्ति ने हिन्दी कहानी को जिस प्रस्थान बिंदु पर लाकर खड़ा किया वह अभूतपूर्व है। उदय ने जहाँ पीली छतरी वाली लड़की (2001), दत्रात्रेय के दुःख (2002), मेंगोलिस (2006) अरेबा परेबा (2006) जैसी कहानियाँ सिरज कर हिन्दी कथा को नया मोड़ दिया (नयी सदी के ठीक पहले आई उनकी कहानियों के नाम यहाँ नहीं हैं) वहीं शिवमूर्ति ने केसर कस्तूरी, तिरिया चरित्तर, बनाना रिपब्लिक, अकालदंड, कसाईबाड़ा, सिरी उपमा जोग, भारतनाट्यम, ख्वाजा ओ मेरे पीर जैसी कहानियों से न केवल अपार लोकप्रियता अर्जित की बल्कि कहानी में किस्सागो की भूमिका को समृद्ध किया। 
    उदय प्रकाश ‘मोहनदास’ (2006) और शिवमूर्ति की ‘कुच्ची का कानून’ (2015) नयी सदी की उन बेहद चर्चित बहसतलब कहानियों में शुमार की जाती हैं। इन कहानियों के आधार पर नयी सदी की हिन्दी कहानी की संरचना, विषयवस्तु और लेखकीय ट्रीटमेंट पर नए सिरे से बहस की पर्याप्‍त गुंजाइश है। दोनों ही कहानियां अपनी स्थापनाओं, मूल्यबोध को लेकर जितनी बहसतलब हैं उससे कहीं अधिक प्रस्तुति और संरचना को लेकर।

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