प्रख्यात आलोचक सुशील सिद्धार्थ के सम्पादन में ‘दूसरी परम्परा’ नाम से एक साहित्यिक पत्रिका का प्रकाश प्रारंभ हुआ है। इसके प्रवेशांक (सितम्बर-नवम्बर 2013) में लेखन के रसायन और उसके आलम्ब पर आधारित मेरे एक आख्यान का अंश प्रकाशित हुआ है जो ब्लाग के पाठकों के लिए यहाँ प्रस्तुत है।
123-सी, पाॅकेट-सी, मयूर विहार, फेज-2, दिल्ली-110 091
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