लमही पत्रिका के शिवमूर्ति विशेषांक का लोकार्पण प्रसिद्ध कथाकार तथा समारोह की अध्यक्ष मुद्गल द्वारा किया गया, साथ में बाएँ से शिवमूर्ति, अशोक बाजपाई और दाहिने से श्री विजय राय तथा श्री सुशील सिद्दार्थ
Sunday, December 16, 2012
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ग्रामजीवन का विद्रूप एवं कथारस का आस्वाद राम विनय शर्मा त्रिलोचन जी ने कहा है कि ‘‘भाषा को लेखक के सम्पर्क में जाना होगा।....
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'' त्रि शूल ' कहानी पत्रिका 'हंस' के अगस्त व सितम्बर 93 के अंको में प्रकाशित हुआ था। पुस्तक रूप में यह राजकमल प्रकाशन...
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शिवमूर्ति की रचनाओं पर अन्य लेखकों के मत 1- भाषा पर शिवमूर्ति की पकड़ गजब की है। अपनी भाषा से वे पूरा दृश्य पैदा कर देते हैं। उनके बिं...
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यह उपन्यास सर्वप्रथम 'नया ज्ञानोदय' के जनवरी २००८ के अंक में सम्पूर्ण रूप से प्रकाशित हुआ था। ब्लाग के पाठकों के लिए इसके कुछ...
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कुच्ची का कानून --शिवमूर्ति गांव की औरतों ने दांतों तले उंगली दबाई। अचरज तो इस बात का है कि गांव की उन बूढ़ियों, सयानियों को भी कानों-का...
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इंडिया इनसाइड पत्रिका की साहित्य वार्षिकी 2016 में प्रकाशित आलेख शिवमूर्ति की कथा - यात्रा में नया मोड़ · उमेश च...
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